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Monday, February 28, 2011

Jyotish yog

ज्योतिष योग :
१- यदि किसी जातक की जन्म कुंडली का लग्न मिथुन, कन्या, धनु और मीन हो और गुरु और बुध सग युति केंद्र भावों में स्थित हो तो ऐसा जातक ज्योतिष होता है.
२- लानेश और दशेश पंचम और नवं भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक ज्योतिष में प्रवीण होता है
३-पंचम भाव में शनि अपनी राशी में स्थित हो तो ऐसा जातक ज्योतिष होता है
4- पंचम भाव का अधिपति और दूसरे भाव का अधिपति एकसाथ लग्न, पंचम और नवं भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक ज्योतिष होता है
५- नवं भाव का अधिपति और लग्न, दूसरे भाव के अधिपति युति करके किसी भी भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक ज्योतिष होता है
६- केंद्र भावों में उच्च राशी का गुरु स्थित हो और उस पर बुध ग्रह का प्रभाव हो तो ऐसा जातक ज्योतिष होता है
७- केंद्र भाव में उच्च राशी का शनि स्थित हो और उस पर गुरु और बुध का सम्मलित प्रभाव हो तो ऐसा जातक ज्योतिष होता है

Thursday, February 24, 2011

jyotish aur abhineta yog

अभिनेता योग:
१- लग्न भाव में शुक्र अपनी राशी अथवा तुला पर स्थित हो एवम बुध दशम भाव पर स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति अभिनय कला में पारंगत होता है!
२-  लग्न भाव एवंम पंचम , नवम भाव का अधिपति एकसाथ केंद्र में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति अभिनय से क्षेत्र में सफल होता है!
३- चतुर्थ एवम दशम भाव का अधिपति शुक्र अथवा बुध हो एवम उन पर गुरु का सुभ प्रभाव हो तो ऐसा व्यक्ति अभिनय कला में पारंगत होता है!
४- दशम भाव में चंद्रमा अपनी राशी कर्क अथवा उच्च राशी वृष पर स्थित हो और कोई तीन ग्रह उच्च राशी में हो तो ऐसा व्यक्ति अभिनय कला में पारंगत होता है!

Thursday, February 17, 2011

व्यापारी योग :

व्यापारी योग :व्यापारी योग :
१- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में तीसरे भाव का स्वामी सप्तम में अथवा सप्तम भाव का स्वामी दूसरे भाव में हो तथा बुध साथ में स्थित हो ऐसा व्यक्ति श्रेष्ठ व्यापारी होता है!
२- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में चंद्रमा और केतु दशम भाव में स्थित हो, तो ऐसा व्यक्ति कपडा, आटा अथवा रुई का व्यापर करता है!
३- शुक्र गुरु से चतुर्थ भाव में स्थित हो अथवा सप्तम एवम दशम भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति श्रेष्ठ व्यापारी होता है!
४- मकर लग्न में लग्नेश एकादशेश मंगल के साथ लग्न,चतुर्थ अथवा दशम भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति खान का सम्बंधित व्यापर करता है!
५- मंगल तथा शनि की युति दशम भाव में हो और उन पर शुक्र कापूर्ण प्रभाव हो तो ऐसा व्यक्ति होटल सम्बन्धी कार्य करता है!
 

Nakshtra aur yog

नक्षत्र विचार
अस्वीनी : राशी चक्र में ० अंश से लेकर १३-२० अंश तक का क्षेत्र अस्वनी नक्षत्र से अंतर्गत मन जाता है! इसका नाम दो अश्वारोहित कुमारो के नामi से हिन्दू वैदिक शास्त्रों में रखा गया है, जिन्हें अश्वनी कुमारो के नाम से जाना जाता है! इस नक्षत्र में तारो की संख्या तीन है! ग्रीक पुरानो में कास्टर एवं पलाक्स के नाम से इस नक्षत्र को अश्वनी नाम दिया गया है! इस नक्षत्र का अधिदेवता पुरुष है जिन्हें अश्वनी राजकुमार कहा गया है!
दत्तक पुत्र योग:
१- पंचम भाव में मंगल और शनि स्थित हो और लग्नाधिपति को बुध की राशी अर्थात मिथुन एवं  कन्या राशी में स्थित होना चाहिये तथा उस ग्रह से युक्त अथवा प्रभावित हो तो ऐसा जातक दत्तक पुत्र को प्राप्त करता है!
२- सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो और पंचामधिपति शुभ ग्रहों से युक्त हो और पंचम भाव में मंगल और शनि स्थित हो, तो ऐसा जातक दत्तक पुत्र को प्राप्त  करता है!

Wednesday, February 16, 2011

Anmol vachan

अनमोल वचन  :
१- सुख और दुःख मानव जीवन रूपी म्यान में एक साथ नहीं रह सकते !
२- दुःख सफलता का प्रथम निमंत्रण है!
३- मनुष्य सुख पाकर अहंकार करता है तभी तो दुःख आकर उसे पीड़ा देता है!
४- यदि दुःख मनुष्य का पिता है तो वेदना  माता की गोद !
४- विपत्ति या विपदा से बढ़कर कोई शिक्षक नहीं है!
५- जिस प्रकार कांटे गुलाब की रक्षा करते है, ठीक उसी प्रकार दुःख व्यक्ति के व्यक्तित्व की रक्षा करते है!
६- मानव जीवन के प्रष्टो पर जो लिखावट लिखी गई है, उसका अधिकांश  भाग वेदना , आंसू या  काँटों की कलम से लिखा गया  है !
७- वेदना माता की वह गोद है जिसमे रहकर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का निर्माण करता है !
८- जिसने कभी दुःख नहीं देखा वह सबसे बड़ा दुखियारा है!
९- दुःख एक देवदूत है, जिसके सिर पर कंटक किरीट विराजमान है!
१०- जीवन में यदि कुछ पाना है तो दुःख के दिनों कोइ गले लगाओ !
११- दुखो से पीड़ित व्यक्ति जीते जी म्रत्यु को प्राप्त करता है!
१२- प्रकाशमान नक्षत्र तभी चमकते है तब अंधकार पर्याप्त मात्र में होता है!

Jyotish aur vivah yog

ज्योतिष शास्त्र में विवाह :


१- यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक का वैवाहिक जीवन सुखी होता है!

२- यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक सुखी होता है!

३- सप्तम और लग्न भाव का अधिपति दोनों सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक का विवाह सुखपूर्ण होता है!

४- सप्तम भाव का अधिपति पंचम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है!

५- पंचम भाव का अधिपति लग्न भाव में सप्तम भाव के अधिपति के साथ स्थित हो तो ऐसे जातक के प्रेम विवाह होता है!

६- लग्न, सप्तम एवम पंचन भाव के अधिपति लग्न, पंचम और सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक प्रेम विवाह होता है!

Tuesday, February 15, 2011

Jyotish aur bhawan sukh

ज्योतिष एवम भवन सुख
ज्योतिषशास्त्र में भवन के सुख का विचार जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव से किया जाता है! भवन से सम्बंधित योग इस प्रकार का है
१- चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो और लग्न भाव का अधिपति चतुर्थ भाव  में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!
२- चतुर्थ भाव का अधिपति एवम लग्नाधिपति एक साथ केंद्रीय
भावों में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख के प्राप्ति होती है!
३- चतुर्थ भाव का अधिपति दशम भाव में और दशम भाव का अधिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!
४- चतुर्थ भाव का अधिपति और दशम भाव का अधिपति एक साथ केंद्रीय भावों में स्थित हो तो व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन से सुख की प्राप्ति होती है!
५-चतुर्थ भाव का अधिपति एवम सप्तम भाव का अधिपति युति करके केंद्रीय भावों में स्थित हो तो व्यक्ति सो श्रेष्ठ भवन के सुख की प्राप्ति होती है!
६- चतुर्थ भाव का अधिपति पंचम एवम नवम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!
७- इन्ही योगों के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव न हो तो श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!

Jyotish aur vedesh yatra yog

विदेश यात्रा योग:
१- दुसरे भाव अथवा एकादश भाव में सूर्य और चंद्रमा से अतिरिक्त  दो या दो से अधिक ग्रह स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में एकबार अवश्य ही विदेश यात्रा करता है !
२- लग्न भाव का अधिपति, राहू, और केतु में से एक ग्रह बारहवे  भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !
3- नवम एवं बारहवे भाव भाव के स्वामी आपस में स्थान परिवर्तन करके स्थित हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !
४- लग्नेश बारहवे भाव में स्थित हो और एवं दशम भाव में कोई ग्रह स्थित न हो तो व्यक्ति  विदेश यात्रा करता है !
५- लग्न भाव का अधिपति और नवम भाव का अधिपति नवम भाव में स्थित हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !

Jyotish aur videsh yatra

विदेश यात्रा योग:
१- दुसरे भाव अथवा एकादश भाव में सूर्य और चंद्रमा से अतिरिक्त  दो या दो से अधिक ग्रह स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति जीवन में एकबार अवश्य ही विदेश यात्रा करता है !
२- लग्न भाव का अधिपति, राहू, और केतु में से एक ग्रह बारहवे  भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !
3- नवम एवं बारहवे भाव भाव के स्वामी आपस में स्थान परिवर्तन करके स्थित हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !
४- लग्नेश बारहवे भाव में स्थित हो और एवं दशम भाव में कोई ग्रह स्थित न हो तो व्यक्ति  विदेश यात्रा करता है !
५- लग्न भाव का अधिपति और नवम भाव का अधिपति नवम भाव में स्थित हो तो भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है !

Sunday, February 13, 2011

राजनेता योग:

राजनेता योग: 
१- यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में तीसरे, छठे एवम बारहवे भाव में राहू स्थित हो |
२- यदि मंगल इन्ही भावों में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति राजनेता होता है !
३- लग्न भाव का अधिपति छठे भाव में अपनी उच्च राशी राशी का हो तो ऐसा व्यक्ति राजनेता होता है!
४- यदि गुरु दूसरे, पंचम और नवम भाव में अपनी राशी धनु और मीन पर स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति राजनेता होता है!
५- छठे भाव में पापग्रह स्थित हो और उसका स्वामी एकादश भाव में स्थित तो ऐसा व्यक्ति राजनेता होता है!
६- एकादश भाव का स्वामी उच्च राशी का हो और वह उसी भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति राजनेता होता है!

Saturday, February 12, 2011

Astrology and money

अकस्मात् धन प्राप्ति योग



यदि दूसरा भाव का अधिपति और चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न, पंचम एवं नवम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन की प्राप्ति होगी.


यदि पंचम भाव पर शुक्र का प्रभाव हो तो ऐसा व्यक्ति को अचानक धन की प्राप्ति होती है.


यदि एकादश भाव का अधिपति और दुसरे भाव का अधिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन की प्राप्ति होती है.


प्रथम भाव का अधिपति दूसरे भाव में हो और दूसरे भाव का अधिपति एकसाथ शुभ भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति को अचानक धन की प्राप्ति होती है.

Friday, February 11, 2011

Astrology and carrier

यदि गुरु एवम बुध के साथ शुक्र भी स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति कला से सम्बंधित शिक्षा का अध्य्यापन करवाता है

यदि गुरु एवम बुध के साथ चन्द्रमा स्थित हो तो व्यक्ति चित्रकला से सम्बंधित विषय का अध्य्यापन करवाता है




यदि गुरु एवं बुध के साथ मंगल स्थातित हो तो ऐसा व्यक्ति विज्ञानं विषय का अध्यापन का कार्य करता है
यदि गुरु एवं राहू एवं केतु के साथ स्थातित स्थातित हो तो ऐसा व्यक्ति चिकित्सा सम्बंधित विषय का अध्य्यापन का कार्य करता है
यदि गुरु एवं बुध के साथ शनि स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति इन्जिनेअरिंग विषय का अध्य्यापन का कार्य करता है
यदि गुरु एवम बुध के साथ सूर्य स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति लोकाप्रससन विषय का अध्य्यापन का कार्य करता है

Thursday, February 10, 2011

Teacher and astrology

अध्यापक योग : ज्योतिष शास्त्र में गुरु को ज्ञान का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है और बुध ग्रह को वाणी का प्रतिनिधि मन गया है, गुरु और बुध ग्रह की युति व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद पर आशीन कराती है यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में लग्न भाव का अधिपति गुरु और बुध हो और वह दशम भाव में स्थित  हो और बुध ग्रह का इस ग्रह का समबन्ध हो जावे तो ऐसा जातक शिक्षा विभाग में कार्य करता है