१- यदि षष्टम भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक को सीर सम्बन्धी रोग होने का भय रहता है!
२- यदि छठवे भाव का अधिपति द्वित्यीय भाव स्थित हो तो ऐसे जातक को नेत्र सम्बन्धी रोग होता है !
३- यदि छठवे भाव का अधिपति तृतीय भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक को गले सम्बन्धी तो होने का भय रहता है !
४- यदि षष्ट भाव का स्धिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक को दिल सम्बन्धी तोग होए का भय रहता है !
५- यदि षष्ट भाव का अधिपति पंचन भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक को पेट सम्बन्धी रोग होने का भय रहता है !
www.brahmjyotish.com . .
No comments:
Post a Comment