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Thursday, October 31, 2013

सूर्य का गोचरीय फलदेश :


१- यदि किसी जातक कि कुंडली में सूर्य का गोचर दशम भाव में आता है तो ऐसे जातक को पिता और राज्य पक्ष के हानि का  सामना करना पड़ता है और उसी मकान, भूमि और वाहन सम्बंधित क्षति होने का भी भय रहता है ! इस समय जातक को माता के वियोग का सामना करना पड़ता है और उसका स्थान पलायन भी करना पड़ता है !
२- यदि किसी जातक कि कुंडली में सूर्य का गोचर एकादश भाव में आता है तो ऐसे जातक को हाथ  में रोग अथवा चोट लगने का खतरा रहता है और उसके आजीविका के साधनो में भी कमी होने लगती है! इसके अतिरिक्त उसे प्रेम के क्षेत्र में असफलता प्राप्त होती है और उसे अचानक धन क्षति का समना करना पड़ता है!
३- यदि किसी जातक कि कुंडली में सूर्य का गोचर द्वादश  भाव में आता है तो ऐसे जातक को विदेश यात्रा के अवसर प्राप्त होता है और उसे रुके धन कि प्राप्ति होती है! इस समय जातक को शत्रु और कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है ! इस समय जातक का अधिकांश समय यात्राओ में व्यतीत होता है और उसके मामा अथवा मौसी को परेशानियो का सामना करना पड़ता है! उन्हे धन क्षति भी होती है !
Dr. Brahamadutt sharma
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Wednesday, October 30, 2013

सूर्य का गोचरीय फलादेश:


१ यदि किसी जातक कि चन्द्र राशि से सूर्य सप्तम भाव में आता है तो ऐसे जातक को मानसिक तनाव, वैवाहिक जीवन में परेशनियो का सामना करना पड़ता है और जातक को बुखार, सिरदर्द जैसी परेशानिया उत्पन्न होती है! इसके अलावा उसकी पत्नी को भी इसी प्रकार कि परेशानियो का सामना करना पड़ता है! इस समय जातक को पूर्व अथवा पशिम दिशा से हानि का सामना करना पड़ता है !
२ यदि किसी जातक कि चन्द्र राशि से सूर्य अष्टम  भाव में आता है तो ऐसे जातक को  अचानक धन हानि और नेत्र सम्बन्धी विकारो का सामना करना पड़ता है और परिवार से उसका विवाद रहने लगता है! इस समय जातक के समस्त धन को परिवार के लोगो के द्वारा हड़प लिया जाता है !
३ यदि किसी जातक कि चन्द्र राशि से सूर्य नवम  भाव में आता है तो ऐसे जातक को सामाजिक मान हानि का सामना करना पड़ता है और उसे घुटनो में रोग अथवा चोट लगने का भी खतरा रहता है! इस समय उसके किसी मित्र अथवा भाई बहिन को भी परेशानियो का सामना करना पड़ता है !

Tuesday, October 29, 2013

सूर्य का गोचरीय फलदेश :


१- सूर्य का गोचर यदि किसी जातक से पंचम भाव पर आता है तो ऐसे जातक को घरेलू परेशानियो का सामना करना पड़ता है ! इसके अलावा ऐसे जातक को अचानक आर्थिक संकट, संतान कष्ट, पेट में रोग, प्रेम सम्बन्धो में कटुता उत्पन्न होती है और जातक की शिक्षा में बढ़ा उत्पन्न होती है! ऐसे जातक को इस समय संतान से विवाद होने का भी भय रहता है! इस समय जातक को यात्राओ से भी लाभ होता है !
२- सूर्य का गोचर यदि किसी जातक से षष्ट  भाव पर आता है तो ऐसे जातक को शत्रु से जीत प्राप्त होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है यदि उसे कर्ज लेना हो तो उसे कर्ज कि प्राप्ति होती है और यदि चुकाना हो तो वह चूका दिया जाता है ! इस समय जातक को विदेश से लाभ प्राप्त होता  उसे विदेश यात्रा के अवसर प्राप्त होते है ! जातक को नेत्र सम्बन्धी परेशानियो का सामना करना पड़ता है !

सूर्य का गोचरीय फलादेश :

१- यदि किसी जातक की  चन्द्र राशि से सूर्य लग्न भाव में आता है तो ऐसे जातक को मानसिक पीड़ा, पेट सम्बन्धी विकार, यात्रा और भ्रमण होता है !यदि किसी जातक
२- यदि किसी जातक की  चन्द्र राशि से सूर्य दुसरे भाव में आता है तो ऐसे जातक को व्यापार में हानि, नीच लोगो की संगती होती है और अचानक आर्थिक नुकसान होता है और नेत्र में विकार होने का भय रहता है!
३ यदि किसी जातक की  चन्द्र राशि से सूर्य  तीसरे भाव में आता है तो जातक रोग से मुक्त होता है, मित्रो में मान  सम्मान की प्राप्ति होती है, जातक प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होता है, जातक कि वाणी में उग्रता रहती है!
४ यदि किसी जातक की  चन्द्र राशि से सूर्य चतुर्थ भाव में आता है तो ऐसे जातक को वाहन , भूमि, भवन सम्बन्धी परेशानियो का सामना करना पड़ता है और उसे माता के सुख में भी कमी होती है! जातक को राज्य एवं पिता पक्ष के भी परेशानियो का सामना करना पड़ता है, जातक को दिल सम्बन्धी रोग होने का भी भय रहता है!   
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Monday, October 28, 2013

शारीरिक दुर्बलता योग :


१ यदि किसी जातक के जन्मकुंडली में लग्नधपति अष्टम भाव में स्तिथ हो तो ऐसा जातक शारीरिक रूप के दुर्बल पाया जाता है !
२ यदि शुक्र, मंगल के भाव को देखता हो अथवा दोनों ग्रहो में आपसी सम्बन्ध स्थापित हो जाये तो ऐसा जातक शारीरिक रूप से दुर्बल पाया जाता है !
३ यदि तीसरे भाव का अधिपति किसी पापग्रह के साथ स्तिथ हो तो ऐसा जातक शारीरिक रूप से दुर्बल पाया जाता है !
४ यदि चंद्रमा ६, ८, 1२ वे भाव में स्थित हो ऐसा जातक शारीरिक रूप से दुर्बल पाया जाता है !
५ यदि ३, ६, ८, १ १ वे भाव के अधिपति लग्न भाव में स्थित हो ऐसा जातक शारीरिक रूप से दुर्बल पाया जाता है !

Sunday, October 20, 2013

ज्योतिष शास्त्र में वाहन योग:


१- जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव को वहां से सम्बंधित मन गया है ! यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव का अधिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक को वाहन का पर्प्याप्त सुख प्राप्त है !
२- यदि किसी जातक की जन्म्कुंडली में चतुर्थ भाव में शुभ भावो के अधिपति स्थित हो तो ऐसे जातक को वाहन सुख प्राप्त होता है !
३ यदि चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न, सप्तम और बषम भाव के अधिपति से साथ स्थित हो तो भी ऐसे जातक को वाहन का सुख प्राप्त होता है !
४-चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो और चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक को स्वयं के प्रयास के वाहन सुख की प्राप्ति होती है !
Dr. Brahamadutt sharma
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Friday, October 18, 2013

प्रेम विवाह योग :


६ पंचम भाव  के स्वामी की राशी में रहू अथवा केतु स्थित हो तो भी ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है!
७- मंगल सप्तम या लग्न में लग्नेश के साथ स्थित हो अथवा पंचम में पंचमेश के साथ स्थित हो तो ऐसा जातक प्रेम विवाह होता है !
८- मंगल पंचम अथवा नवम भाव में स्थित तथा सप्तमेश तथा एकादशेश में राशी परिवर्तन हो तो ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है !
९- शुक्र लग्न भाव में और चंद्रमा  से पंचम भाव में स्थित हो तो जातक का प्रेम विवाह होता है !
१०- चंद्रमा सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ स्थित हो तो ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है !

प्रेम विवाह योग:


१ यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में लग्नेश सप्तम भाव मव स्थित हो और सप्तमेश लग्न भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है !  अर्थात ऐसा जातक अपने जीवनसाथी का चयन स्वयं करता है, आगे चलकर उसे अपने माता एवम संबंधियों की भी स्वीकृति भी मिल जाती है !
२ पंचम में मंगल, पंचमेश के साथ युति करता हो तो भी ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है !
३ शुक्र लग्न में लग्न भाव के स्वामी  का साथ स्थित हो तो भी ऐसा जातक प्रेम विवाह करता है !
४- शुक्र सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ  स्थित हो तो भी ऐसे जातक का प्रेम विवाह होता है !
५ शुक्र सप्तम भाव में स्वग्रही अथवा उच्च का हो तो ऐसा जातक का प्रेम विवाह होता है !

Wednesday, October 16, 2013

ज्योतिष शास्त्र में कर्ज योग :


१ जन्मकुंडली में छठे भाव को कर्ज का मन जाता है ! यदि किसी जातक की कुंडली में छठवे भाव के अधिपति का  छटवे भाव से छटवे भाव के अधिपति के किसी भी प्रकार से सम्बन्ध स्थापित हो जाये तो ऐसा जातक आजीवन कर्जदार रहता है !
२ यदि धन भाव में पापग्रह स्थित हो, लग्नेश बारहवे भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक कर्जदार रहता है !
३ यदि धन भाव का अधिपति अपनी नीच राशी में स्थित हो  और छटवे भाव पर शुभ ग्रह का प्रभाव हो तो ऐसा जातक आजीवन कर्जदार रहता है !
४ छटवे भाव का अधिपति शनि के साथ स्थित हो अथवा शनि से उसका किसी भी प्रकार का सम्बन्ध स्थापित हो जाये तो ऐसा जातक कर्जदार रहता है !

ज्योतिष शास्त्र में गायक योग :


१- यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में मिथुन अथवा कन्या लग्न हो और लग्नेश बुध चतुर्थ भाव में स्थित हो और उसके साथ गुरु भी स्थति हो तो ऐसा जातक गायन कला में निपुण होता है !
२- लग्नेश बुध और चतुर्थ भाव का अधिपति गुरु लग्न पंचम नवम भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक गायन कला में निपुण होता है
३- यदि गुरु बुध और शुक्र की युति लग्न चतुर्थ पंचम  सप्तम नवम और दशम भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक गायन कला के माध्यम से प्रसिधी को प्राप्त करता है !
४-  धनु और मीन लग्न में लग्नेश गुरु और चतुर्थ भाव का अधिपति केन्द्र्य भावों में स्थति हो और शुक्र लग्न पंचम नवम भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक गायन कला में निपुण होता है !

Tuesday, October 15, 2013

ज्योतिष शास्त्र में अचानक धन नाश योग :


१ यदि दुसरे भाव  भाव  में कर्क का चंद्रमा शनि के नक्षत्र में स्थित हो अथवा दोनों में सम्बन्ध स्थापित हो तो ऐसे व्यक्ति के समस्त धन का नाश हो जाता है!
२- शनि की महादशा में चंद्रमा की अंतरदशा आने पर जातक का समस्त धन नष्ट हो जाता है !
३- यदि लग्नेश अष्टम भाव में स्थित हो और बहरवे  भाव का अधिपति भी उसके साथ हो, छठे भाव का स्वामी लग्न भाव में स्थित हो !
४- नवम भाव का अधिपति और दशम भाव भाव का अधिपति बहरवे  भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति का समस्त धन अचानक ही नस्ट हो जाता है !