अनमोल वचन :
१- सुख और दुःख मानव जीवन रूपी म्यान में एक साथ नहीं रह सकते !
२- दुःख सफलता का प्रथम निमंत्रण है!
३- मनुष्य सुख पाकर अहंकार करता है तभी तो दुःख आकर उसे पीड़ा देता है!
४- यदि दुःख मनुष्य का पिता है तो वेदना माता की गोद !
४- विपत्ति या विपदा से बढ़कर कोई शिक्षक नहीं है!
५- जिस प्रकार कांटे गुलाब की रक्षा करते है, ठीक उसी प्रकार दुःख व्यक्ति के व्यक्तित्व की रक्षा करते है!
६- मानव जीवन के प्रष्टो पर जो लिखावट लिखी गई है, उसका अधिकांश भाग वेदना , आंसू या काँटों की कलम से लिखा गया है !
७- वेदना माता की वह गोद है जिसमे रहकर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का निर्माण करता है !
८- जिसने कभी दुःख नहीं देखा वह सबसे बड़ा दुखियारा है!
९- दुःख एक देवदूत है, जिसके सिर पर कंटक किरीट विराजमान है!
१०- जीवन में यदि कुछ पाना है तो दुःख के दिनों कोइ गले लगाओ !
११- दुखो से पीड़ित व्यक्ति जीते जी म्रत्यु को प्राप्त करता है!
१२- प्रकाशमान नक्षत्र तभी चमकते है तब अंधकार पर्याप्त मात्र में होता है!
१- सुख और दुःख मानव जीवन रूपी म्यान में एक साथ नहीं रह सकते !
२- दुःख सफलता का प्रथम निमंत्रण है!
३- मनुष्य सुख पाकर अहंकार करता है तभी तो दुःख आकर उसे पीड़ा देता है!
४- यदि दुःख मनुष्य का पिता है तो वेदना माता की गोद !
४- विपत्ति या विपदा से बढ़कर कोई शिक्षक नहीं है!
५- जिस प्रकार कांटे गुलाब की रक्षा करते है, ठीक उसी प्रकार दुःख व्यक्ति के व्यक्तित्व की रक्षा करते है!
६- मानव जीवन के प्रष्टो पर जो लिखावट लिखी गई है, उसका अधिकांश भाग वेदना , आंसू या काँटों की कलम से लिखा गया है !
७- वेदना माता की वह गोद है जिसमे रहकर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का निर्माण करता है !
८- जिसने कभी दुःख नहीं देखा वह सबसे बड़ा दुखियारा है!
९- दुःख एक देवदूत है, जिसके सिर पर कंटक किरीट विराजमान है!
१०- जीवन में यदि कुछ पाना है तो दुःख के दिनों कोइ गले लगाओ !
११- दुखो से पीड़ित व्यक्ति जीते जी म्रत्यु को प्राप्त करता है!
१२- प्रकाशमान नक्षत्र तभी चमकते है तब अंधकार पर्याप्त मात्र में होता है!
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