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Tuesday, February 15, 2011

Jyotish aur bhawan sukh

ज्योतिष एवम भवन सुख
ज्योतिषशास्त्र में भवन के सुख का विचार जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव से किया जाता है! भवन से सम्बंधित योग इस प्रकार का है
१- चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो और लग्न भाव का अधिपति चतुर्थ भाव  में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!
२- चतुर्थ भाव का अधिपति एवम लग्नाधिपति एक साथ केंद्रीय
भावों में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख के प्राप्ति होती है!
३- चतुर्थ भाव का अधिपति दशम भाव में और दशम भाव का अधिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!
४- चतुर्थ भाव का अधिपति और दशम भाव का अधिपति एक साथ केंद्रीय भावों में स्थित हो तो व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन से सुख की प्राप्ति होती है!
५-चतुर्थ भाव का अधिपति एवम सप्तम भाव का अधिपति युति करके केंद्रीय भावों में स्थित हो तो व्यक्ति सो श्रेष्ठ भवन के सुख की प्राप्ति होती है!
६- चतुर्थ भाव का अधिपति पंचम एवम नवम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!
७- इन्ही योगों के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव न हो तो श्रेष्ठ भवन सुख की प्राप्ति होती है!

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