ज्योतिष शास्त्र में भवन विचार :
१ ज्योतिष शास्त्र में भवन सम्बन्धी
प्रशन का विचार जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव से किया जाता है! यदि कुंडली के
चतुर्थ भाव का अधिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को भाव सुख
की प्राप्ति होती है!
२ यदि चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न भाव में स्थित हो
और लग्न भाव का अधिपति चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को भवन का
सुख प्राप्त होता है !
३ यदि चतुर्थ भाव का अधिपति सप्तम भाव में स्थित हो और उस पर लग्नेश की पूर्ण प्रभाव हो तो ऐसे व्यक्ति को भवन का सुख पत्नी अथवा ससुराल के माध्यम से प्राप्त होता है !
४ यदि चतुर्थ भाव का अधिपति और लग्न भाव का अधिपति एकसाथ स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति स्वयं भाव का सुख प्राप्त करता है!
५
यदि चतुर्थ भाव का अधिपति और दशम भाव का अधिपति एकसाथ चतुर्थ अथवा दशम भाव
में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को पिता अथवा राज्य पक्ष की और से भवन सुख की
प्राप्ति होती है!
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