ज्योतिष एवं दन्त रोग :
१ यदि किसी व्यक्ति के छठवे भाव में राहु अथवा केतु स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को दन्त सम्बन्धी रोग होने का भय रहता है !
२ यदि लग्न में मेष वृष या धनु राशी स्थति हो और उसपर पापग्रहो का प्रभाव हो तो व्यक्ति को पायरिया रोग होता है !
३ यदि बारहवे भाव में चंद्रमा त्रिकोण भावों में शनि तथा सप्तम या आठवे भाव में सूर्य स्थति हो तो व्यक्ति को दन्त सम्बन्धी रोग होने का भय रहता है !
४ यदि द्वितीय भाव का अधिपति राहु के साथ त्रिक भावों में शनि स्थति हो !
५ लग्न भाव में गुरु और राहु स्थित हो तो व्यक्ति को दन्त रोग होने सा भय रहता है !
६ सप्तम भाव में पापग्रह हो तथा उन पर पापग्रहो का प्रभाव हो !
Dr. Brahamadutt sharma
www.brahmjyotish.com
१ यदि किसी व्यक्ति के छठवे भाव में राहु अथवा केतु स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को दन्त सम्बन्धी रोग होने का भय रहता है !
२ यदि लग्न में मेष वृष या धनु राशी स्थति हो और उसपर पापग्रहो का प्रभाव हो तो व्यक्ति को पायरिया रोग होता है !
३ यदि बारहवे भाव में चंद्रमा त्रिकोण भावों में शनि तथा सप्तम या आठवे भाव में सूर्य स्थति हो तो व्यक्ति को दन्त सम्बन्धी रोग होने का भय रहता है !
४ यदि द्वितीय भाव का अधिपति राहु के साथ त्रिक भावों में शनि स्थति हो !
५ लग्न भाव में गुरु और राहु स्थित हो तो व्यक्ति को दन्त रोग होने सा भय रहता है !
६ सप्तम भाव में पापग्रह हो तथा उन पर पापग्रहो का प्रभाव हो !
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