ग्रह एवं शारीरिक चिन्ह
१ यदि किसी व्यक्ति दस लग्न भाव पर सूर्य स्थित हो तो उसके सिर पर पशु अघात अथवा लकड़ी की चोट से चिन्ह बनते है!
२- यदि क्षीण चंद्रमा स्थित हो तो जल जंतु या सिंग्वाले पशु द्वारा अथवा तेजाब जैसे किसी तरल पधार्थ के कारन घाव का क चिन्ह बनता है !
३- यदि बुध पापग्रह से युत बुध ग्रह लग्न भाव पर स्थित हो तो इंट अथवा ऊँची जगह से गिरने के कारन घाव से चिन्ह बनते है!
४ यदि शनि लग्न भाव में स्थित हो तो पत्थर की चोट लगने अथवा शीत वात विश जन्य रोग होने से होने वाले घाव का चिन्ह बनता है !
५ यदि सूर्य और चंद्रमा लग्न भाव में पाप ग्रह से साथ अथवा प्रभाव में स्थित हो तो तो व्रण या चिन्ह और यदि सुभ ग्रहों से युत अथवा प्रभाव में हो तो तिल मस्से के चिन्ह प्रकट होते है !
१ यदि किसी व्यक्ति दस लग्न भाव पर सूर्य स्थित हो तो उसके सिर पर पशु अघात अथवा लकड़ी की चोट से चिन्ह बनते है!
२- यदि क्षीण चंद्रमा स्थित हो तो जल जंतु या सिंग्वाले पशु द्वारा अथवा तेजाब जैसे किसी तरल पधार्थ के कारन घाव का क चिन्ह बनता है !
३- यदि बुध पापग्रह से युत बुध ग्रह लग्न भाव पर स्थित हो तो इंट अथवा ऊँची जगह से गिरने के कारन घाव से चिन्ह बनते है!
४ यदि शनि लग्न भाव में स्थित हो तो पत्थर की चोट लगने अथवा शीत वात विश जन्य रोग होने से होने वाले घाव का चिन्ह बनता है !
५ यदि सूर्य और चंद्रमा लग्न भाव में पाप ग्रह से साथ अथवा प्रभाव में स्थित हो तो तो व्रण या चिन्ह और यदि सुभ ग्रहों से युत अथवा प्रभाव में हो तो तिल मस्से के चिन्ह प्रकट होते है !
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