विलम्ब से संतान प्राप्ति :
१- यदि किसे व्यक्ति की जन्म कुंडली में सप्तम भाव का अधिपति तीन, छ, आठ और बहर्वे भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को विलम्ब से संतान प्राप्ति होती है !
२ यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में पंचम भाव का अधिपति पापग्रह और शुभ ग्रह के साथ स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को संतान विलम्ब से प्राप्त होती है !
३- यदि कुंडली में पंचम भाव का अधिपति शुभ ग्रह के साथ अशुभ भावों में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को संतान सुख विलम्ब का प्राप्त होता है !
४- यदि पंचम भाव का अधिपति शुभ भावों में स्थित हो और पंचम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो भी वियक्ति को संतान विलम्ब से प्राप्त होती है !
५- पंचम भाव पर तीन[ छ आठवे भाव का अधिपत का प्रभाव हो और पंचम भाव का अधिपति शुभ भाव में हो तो व्यक्ति को संतान विलम्ब से प्राप्त होती है !
१- यदि किसे व्यक्ति की जन्म कुंडली में सप्तम भाव का अधिपति तीन, छ, आठ और बहर्वे भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को विलम्ब से संतान प्राप्ति होती है !
२ यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में पंचम भाव का अधिपति पापग्रह और शुभ ग्रह के साथ स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को संतान विलम्ब से प्राप्त होती है !
३- यदि कुंडली में पंचम भाव का अधिपति शुभ ग्रह के साथ अशुभ भावों में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को संतान सुख विलम्ब का प्राप्त होता है !
४- यदि पंचम भाव का अधिपति शुभ भावों में स्थित हो और पंचम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो भी वियक्ति को संतान विलम्ब से प्राप्त होती है !
५- पंचम भाव पर तीन[ छ आठवे भाव का अधिपत का प्रभाव हो और पंचम भाव का अधिपति शुभ भाव में हो तो व्यक्ति को संतान विलम्ब से प्राप्त होती है !
No comments:
Post a Comment