चंद्रमा का गोचरीय फलादेश :
१- यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा का गोचर तीसरे भाव में आता है तो ऐसे जातक को भाई बंधुओ का सहयोग प्राप्त होत है अथवा इनके साथ पार्टनरशिप के अवसर प्राप्त होती है ! इसके अतिरिक्त जातक को लेखन और वाणी सम्बन्धी कार्यो से लाभ प्राप्त होता है, उसकी कार्य इस समय वाणी के माध्यम से पूर्ण होती है ! यदि चद्रमा अपनि उच्च अथवा स्वराशि पर स्थित हो तो जातक के उपरोक्त फलो में अत्यधिक वृद्धि होती है और यदि अपनी नीच राशि पर स्थित हो तो उपरोक्त फलो में कमी होने लगती है !
२ - यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा का गोचर चतुर्थ भाव में आता है तो ऐसे जातक को भूमि, भवन, पारिवारिक विवादो और दिल सम्बन्धी परेशानिय का सामना करना पड़ता है ! इस समय किये गए कार्यो में जातक को असफलता प्राप्त होती है ! गलत निर्णयो से जातक को बाद में पछताना पड़ता है ! जातक को उत्त्तर दिशा के हानि का सामना करना पड़ता है !यदि चंद्रमा यदि चद्रमा अपनि उच्च अथवा स्वराशि पर स्थित हो तो जातक के उपरोक्त फलो में अत्यधिक वृद्धि होती है और यदि अपनी नीच राशि पर स्थित हो तो उपरोक्त फलो में कमी होने लगती है !
१- यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा का गोचर तीसरे भाव में आता है तो ऐसे जातक को भाई बंधुओ का सहयोग प्राप्त होत है अथवा इनके साथ पार्टनरशिप के अवसर प्राप्त होती है ! इसके अतिरिक्त जातक को लेखन और वाणी सम्बन्धी कार्यो से लाभ प्राप्त होता है, उसकी कार्य इस समय वाणी के माध्यम से पूर्ण होती है ! यदि चद्रमा अपनि उच्च अथवा स्वराशि पर स्थित हो तो जातक के उपरोक्त फलो में अत्यधिक वृद्धि होती है और यदि अपनी नीच राशि पर स्थित हो तो उपरोक्त फलो में कमी होने लगती है !
२ - यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा का गोचर चतुर्थ भाव में आता है तो ऐसे जातक को भूमि, भवन, पारिवारिक विवादो और दिल सम्बन्धी परेशानिय का सामना करना पड़ता है ! इस समय किये गए कार्यो में जातक को असफलता प्राप्त होती है ! गलत निर्णयो से जातक को बाद में पछताना पड़ता है ! जातक को उत्त्तर दिशा के हानि का सामना करना पड़ता है !यदि चंद्रमा यदि चद्रमा अपनि उच्च अथवा स्वराशि पर स्थित हो तो जातक के उपरोक्त फलो में अत्यधिक वृद्धि होती है और यदि अपनी नीच राशि पर स्थित हो तो उपरोक्त फलो में कमी होने लगती है !
Guys thanks for share such impressive knowledge. Love marriage spell
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