१- यदि किसी जातक को कुंडली में चंद्रमा पंचम भाव पर आता है और वह अपनी उच्च राशि अथवा स्वराशि में आता है तो ऐसे जातक को अचानक लॉटरी, शेयर अथवा सट्टे का लाभ की प्राप्ति होती है! इसके अतिरिक्त उसी संतान कि प्राप्ति होती है अथवा उसे संतान की और से शुभ समाचारो कि प्राप्ति होती है ! इस समय जातक को जलीय वस्तु के व्यपार से लाभ मिलता है और उसे प्रेम के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है, इस कवल उसकी मनोकामनाये भी पूर्ण होती है! जातक यदि कला के क्षेत्र में हो तो उसे प्रसिद्धि प्राप्त होती है ! यदि चंद्रमा अपनी नीच राशि में स्थति हो तो उपरोक्त फलो के नकारातमक प्रभाव प्राप्त होने लग जाते है!
२- यदि किसी जातक को कुंडली में चंद्रमा षष्ठ भाव पर आता है और वह अपनी उच्च राशि अथवा स्वराशि में आता है तो ऐसे जातक को यात्राओ से लाभ प्राप्त होता है और उसका शुभ स्थान पलायन अथवा शुभ खर्च करना पड़ता है ! इस समय वह व्यापार में धन व्यय करता है जिससे आगे चलकर उसी लाभ प्राप्त है ! इस समय जातक कि बाई नेत्र में पीड़ा रहती है और उसी मामा और शत्रु पक्ष से लाभ कि प्राप्ति होती है और पुराने विवादो में जीत प्राप्त होती है !यदि चंद्रमा अपनी नीच राशि में स्थति हो तो उपरोक्त फलो के नकारातमक प्रभाव प्राप्त होने लग जाते है!
Dr. Brahamadutt sharma
www.brahmjyotish.com
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