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Wednesday, January 9, 2013

सप्तम भाव में मंगल :

सप्तम भाव में मंगल :
यदि सप्तम भाव में मंगल अपनी नीच राशी, शत्रु राशी अध्व पापग्रह के साथ स्थित हो तो जातक को वैविहिक जीवन अत्यंत कलहपूर्ण तथा दुःख से परिपूरन हो जाता है ! ऐसे जातक का विवाह वैविहिक आयु समाप्त हो जाने के बाद होता है ! जातक से दो विवाह होते है ! मंगल अग्नि तत्त्व प्रधान होने के कारन एके जातक की पत्नी स्वभाव से उग्र, क्रोधी होती है ! वह प्रतेक बात पर पति से झगडा करनेवाली होती है ! मंगल एक प्रथक्तावादी ग्रह होना के कारन वैवाहिक रिश्तों को तलक तक भी पहुंचा देता है !

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