2- चन्द्रमा :
सप्तम भावस्थ चन्द्रमा अपनी उच्च राशी। स्वराशी अथवा
मित्र राशी पर स्थित हो अथवा सप्तम भाव पर शुभ द्रष्टि हो तो ऐसे जातक का
वैवाहिक जीवन अत्यंत श्रेष्ठ होता है ! ऐसे जातक की पत्नी मधुभाशिनी,
विवेकी तथा धनि होती है ! वह पति से अनुकूल चलने वाली सुंदर तथा कला की
जानकर होती है ! ऐसी स्त्री स्वभाव से नम्र तथा विनीत होती है ! यदि सप्तम
भाव में चंद्रमा क्षीण हो अथवा नीच राशी पर स्थित हो अथवा सप्तम भाव पर
अशुभ द्रष्टि हो तो ऐसे जातक का विवाह अपने से निम्न स्तर की स्त्री के
होता है ! ऐसे जातक का वैविहिक जीवन दुखी होता है ! उसकी पत्नी रोगिणी,
चंचल, अभामानी तथा पति सुख से वंचित रहती है !
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