यदि किसी जातक की कुंडली में शनि सप्तम भाव में अपनी उच्च स्वराशी अथवा मित्र राशी का हो तो ऐसे जातक को वैवाहिक विलम्ब का सामना करना पड़ता है ! इसके अलावा एके जातक का विवाह पश्चिम दिशा में होता है ! ऐसे जातक की पत्नी इंजिनियर, कंप्यूटर और कानून विषय में पारंगत होती है ! यदि कुंडली के सप्तम भाव में शनि अपनी नीच राशी, शत्रु राशी पर स्थित हो तो ऐसे जातक के दो विवाह संपन्न होते है ! ऐसे जातक की पत्नी शारीरिक द्रष्टि से कमजोर होती है और वह मानसिकरूप से भी कमजोर होती है !
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